रायपुर (CM Vishnu Dev Sai Interview)। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने नव वर्ष 2025 के लिए संकल्पों पर नईदुनिया के साथ विस्तार से चर्चा की। विपक्ष के आरोपों का बेबाकी से उत्तर दिया तो भावी योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की छवि बदलने के लिए ढांचागत सुविधाओं के विकास, नक्सलवाद की समाप्ति और उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए किए जा रहे प्रयास की जानकारी दी। प्रस्तुत है नईदुनिया रायपुर के संपादकीय प्रभारी सतीश चंद्र श्रीवास्तव और ब्यूरो प्रभारी संदीप तिवारी की मुख्यमंत्री के साथ बातचीत के प्रमुख अंश: –
मंत्रिमंडल का विस्तार कबतक होने जा रहा है? क्या हरियाणा की तरह 14 मंत्री होंगे?
मुख्यमंत्री : बहुत जल्द। (हंसते हुए राजनीतिक उत्तर) अभी तक मैं कहता था कि इंतजार कीजिए। अब कह रहा हूं कि बहुत जल्द और नए साल में हो जाएगा। मंत्रिमंडल में हरियाणा की तरह ही 14 मंत्री बनाने के संबंध में अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है। हरियाणा सरकार ने किसी व्यवस्था के तहत ही यह किया है। यहां भी देखते हैं।
वित्तीय प्रबंधन चिंता का विषय है। प्रदेश की आमदनी बढ़ाने के लिए क्या कर रहे?
मुख्यमंत्री : लीकेज बंद कर रहे हैं। उदाहरण के लिए आबकारी विभाग में चोरी रोक रहे हैं। पहले आबकारी में सात-आठ करोड़ की राजस्व प्राप्ति होती थी। उसे 11 से 12 हजार करोड़ करने का प्रयास किया जा रहा है। माइनिंग और जीएसटी से भी राजस्व बढ़ा रहे हैं। माइनिंग से राजस्व बढ़ाने के लिए ओडिशा हमारे लिए उदाहरण है।
खनिज संपदा के मामले में छत्तीसगढ़ के समान होने के बाद भी ओडिशा में 48 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो रहा है परंतु प्रदेश में आय 12-13 हजार करोड़ से नीचे ही हैं। माइनिंग से राजस्व बढ़ाने के लिए सुधारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं।
बालू (रेत) उत्खनन से अभी तक 52 करोड़ रुपये का राजस्व ही प्राप्त हो रहा है। उसे बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का लक्ष्य है। हमारे वित्त मंत्री ओपी चौधरी पूर्व आइएएस हैं। वह हमेशा विमर्श और चिंतन करते रहते हैं कि कहां-कहां से पैसा आएगा और इसके लिए आवश्यक प्रयास किया जा रहा है। यह भी अध्ययन किया जा रहा है कि अभी इतना कम राजस्व क्यों है।
प्रदेश में रेल संपर्क के लिए क्या कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री : डबल इंजन की सरकार का काफी लाभ हो रहा है। प्रदेश को रेल परियोजनाओं में काफी पैसा मिल रहा है। इतना पैसा पहले कभी नहीं मिला। रेल नेटवर्क के विस्तार से औद्योगिक और अधोसंरचना विकास को भी नई गति मिलेगी। अंबिकापुर-बरवाडीह, खरसिया-नया रायपुर-परमलकसा, रावघाट-जगदलपुर और धरमजयगढ़-पत्थलगांव-लोहरदगा रेल परियोजनाओं का भी डीपीआर तैयार हो रहा है।
धरमजयगढ़-लोहरदगा परियोजना के लिए रेलवे द्वारा किया जा रहा सर्वेक्षण का काम अंतिम चरण में है। रावघाट के भिलाई से रेल मार्ग से जुड़ जाने से भिलाई इस्पात संयंत्र को बड़े पैमाने पर लौह अयस्क की आपूर्ति हो सकेगी। बस्तर में के.के. (कोत्तावलसा से किंरदुल) रेल लाइन दोहरीकरण परियोजना का काम भी तेजी से चल रहा है।
इसी तरह 295 किलोमीटर लंबी और 4,021 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली डोंगरगढ़-कवर्धा-कटघोरा रेल लाइन परियोजना को मंजूरी रेल मंत्रालय से मिल चुकी है। इसके लिए भूमि अधिग्रहण और प्रारंभिक निर्माण कार्यों के लिए 300 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। अंबिकापुर के लिए हवाई सेवा भी शुरू हो चुकी है। बस्तर के लिए हवाई सुविधा तो पहले से ही है।
कवासी लखमा ने बता दिया कि पावर सेंटर के कारण सिर्फ फाइल पर हस्ताक्षर करते थे : मुख्यमंत्री
विपक्ष का लगातार आरोप है कि विष्णु सरकार में सत्ता के कई पावर सेंटर हैं?
मुख्यमंत्री : इसका स्पष्ट अर्थ है कि हमारे मंत्री सक्षम हैं। अपने विभागों में काम की चिंता करते हैं। मेहनत करते हैं। प्रदेश की सरकार लोकतांत्रिक है। किसी एक व्यक्ति द्वारा संचालित नहीं हो रही। इसे इस तरह भी समझें कि पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लिया है कि अधिकारी उनके पास फाइल लाते थे और वह हस्ताक्षर कर देते थे।
स्पष्ट है कि प्रदेश की सरकार किस पावर सेंटर से चलती थी और भ्रष्टाचार के रूप में उसके परिणाम सामने हैं। अब कार्रवाई हो रही है तो विपक्ष के नेता बेतुके आरोप लगा रहे हैं। भ्रष्टाचार पर कार्रवाई गलत है तो विपक्ष को ऊपर अपील करे।
प्रदेश में 33 हजार से अधिक शिक्षकों की कमी है। मंत्री के रूप में क्या प्रयास कर रहे हैं?
मुख्यमंत्री : पिछली सरकार में शिक्षकों का कुछ इस तरह स्थानांतरण किया गया कि पूरी व्यवस्था असंतुलित हो गई। करीब 5,000 स्कूल एक शिक्षकीय हो गया। तीन-चार सौ स्कूल शिक्षक विहीन हो गए। सरकार ने यह भी ध्यान नहीं दिया कि शिक्षकों के बिना स्कूल कैसे संचालित करेंगे।
अभी तो कई स्कूलों में शिक्षकों से छात्रों की संख्या कम है। शिक्षा का बंटाधार कर दिया गया। इसीलिए युक्तीयुक्तकरण का प्रयास कर रहे थे परंतु विरोध शुरू हो गया। अभी भी शिक्षकविहीन स्कूल हैं परंतु वहां दूसरे स्कूलों से शिक्षकों की व्यवस्था की गई है ताकि स्कूल बंद नहीं हों।
शिक्षक भर्ती में चुनौतियां क्या है?
मुख्यमंत्री : प्रदेश आज भी राष्ट्रीय औसत से बेहतर हैं। राष्ट्रीय स्तर पर 26 छात्रों पर एक शिक्षक हैं तो प्रदेश में 21 छात्रों पर एक शिक्षक हैं। बस्तर में हम दूसरे जिलों से शिक्षक भेज ही नहीं सकते। हल्बी-गोंडी बोलने वालों को हिंदी जानने-बोलने वाले शिक्षक पढ़ा ही नहीं सकते। केंद्रीय गृह मंत्री के दौरे के समय भी यह बात सामने आई।
ऐसे में बस्तर के 11वीं-12वीं पढ़े स्थानीय युवाओं को ही अथिति शिक्षक के रूप में जिम्मेदारी सौंपना उचित है। वहां रायपुर या बिलासपुर से भेजे गए शिक्षक कुछ भी नहीं पढ़ा सकेंगे। अबूझमाड़ क्षेत्र में नक्सलियों का ही प्रभाव था। वहां सिर्फ नक्सली और मिशनरी ही पहुंच पाते थे। अब सुरक्षा कैंप खोल रहे हैं तो विकास हो रहा है और सरकारी प्रतिनिधि और अधिकारी पहुंच रहे हैं। पीएमश्री योजना के तहत 341 प्राथमिक स्कूलों दो-दो करोड़ रुपये मिल रहे हैं।
उच्च शिक्षा के क्या सोचा जा रहा है। काफी पद रिक्त हैं?
मुख्यमंत्री : हर स्तर पर योजना बनाई जा रही है और जल्द ही सार्थक परिणाम सामने आएंगे। गुणवत्ता सुधार के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। रायपुर की ढांचागत सुविधाओं का भी सदुपयोग किया जाएगा।
नक्सल प्रभावित बस्तर में नियद नेल्ला नार योजना कैसे आगे बढ़ी?
मुख्यमंत्री : श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी ने क्षेत्र में 32 प्रतिशत आदिवासी जनसंख्या को देखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया। केंद्र में अलग से आदिवासी मंत्रालय भी बनाया। आदिवासियों का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। प्रदेश सरकार ने पहले बजट में ही बस्तर और सरगुजा पर विशेष ध्यान दिया है।
गोंडी के नियद नेल्ला नार का अर्थ है आपका अच्छा गांव। प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा व अन्य के साथ चर्चा में यह बात आई। सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश में डबल इंजन की सरकार ने दिसंबर 2023 में शपथ लेने के बाद जनवरी 2024 में ही संकल्प ले लिया कि मार्च 2026 तक नक्सलवाद समाप्त करना है।
क्या 2026 तक नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा?
मुख्यमंत्री : हमें तो पूरा विश्वास है कि जिस तरह से प्रयास कर रहे हैं, उसका परिणाम तय समय में आएगा। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तरफ से पूरा सहयोग और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। कोई बस्तर जाकर देखे तो पता चलेगा कि वहां विकास काम करने के लिए भी लोग आगे आ रहे हैं।
सुरक्षा कैंपों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बिजली, पानी और सड़क की सुविधा के साथ-साथ दूरसंचार के लिए टावर भी तेजी से बढ़ रहे हैं। स्कूल व अस्पताल की सुविधाएं बढ़ने के साथ गांवों तक राशन भी पहुंच रहा है। इसकी वजह से बहुत कम संख्या में बचे नक्सली अलग-थलग पड़ गए हैं। उनके पुनर्वास की भी अच्छी योजना लाई जा रही है।
समर्पण करने वालों को बेहतर भविष्य के लिए रोजगार प्रशिक्षण और उस अवधि में 10 हजार रुपये प्रति माह की व्यवस्था भी की जा रही है। यह सभी जानते हैं कि बस्तर के लोग काफी ईमानदार होते हैं। वह जिसके साथ होते हैं उसके लिए पूरी ईमानदारी से काम करते हैं।
डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) में शामिल पूर्व नक्सली ही बस्तर में शांति के अग्रदूत हैं। स्कूली बच्चों और नक्सल पीड़ितों को देश-दुनिया से परिचित कराने के प्रयास का काफी लाभ हो रहा है। नियद नेल्ला नार योजना का काफी अच्छा लाभ मिल रहा है।