
सपनों को हकीकत में बदलने की यह कहानी है नगर पंचायत कुसमी के वार्ड क्रमांक 13 में रहने वाली जयमंती की। जयमंती अपने तीन बच्चों के साथ एक साधारण से कच्चे मकान में रहती थी। खप्पर का यह मकान जो प्रति वर्ष बरसात के मौसम में मुसीबत का पहाड़ ले कर आता था। जयमंती जिनकी उम्र 45 वर्ष है उनके पति का देहान्त हो जाने के कारण ये अपने तीन बच्चों के लालन-पालन हेतु दिहाड़ी मजदूरी का काम करके अपने बच्चों का भरण-पोषण करती थी। जयमंती की आर्थिक स्थिति अत्यंत ही दयनीय होने के कारण ये अपने बच्चों को शिक्षा नहीं दिलवा पाईं।
जयमंती की आर्थिक स्थिति इतनी दयनीय थी कि अपने जर्जर मकान जो कि बरसात के मौसम में दीवार से पानी रिस करके उनके घर मे आ जाता था। वह सोचती थी कि उनका सपना उनके जीवन काल में संभव हो पायेगा कि नहीं। एक दिन नगर पंचायत कुसमी के द्वारा आवास योजना की टीम मोहल्ले मे सर्वे का कार्य कर रही थी, जयमंती ने आवास योजना की जानकारी एकत्रित करते हुए आवास योजना के सर्वे में अपना नाम जुड़वाया।कुछ महीनों बाद आवास की स्वीकृति प्राप्त होने के उपरांत उन्होने अपने कच्चे घर को तोड़कर उसी स्थान पर पक्के मकान बनाने का कार्य प्रारभ्ं कर दिया। आवास योजना की राशि जयमंती को चार किस्तों में उनके खाते के माध्यम से समय-समय पर प्राप्त होती रही।
जयमंती कहती हैं कि कुछ महीनों के उपरांत मेरा पक्का आवास बन करके तैयार हो गया। मेरे नजरों के सामने मेरा पक्के मकान का सपना साकार हो गया। मै ओर मेरे तीनों बच्चों के चेहरे पर संतुष्टि व प्रशंसा के भाव देख आज मै अत्यंत खुशी का अनुभव कर रही हूँ। मैं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जरुरतमदं को पक्का मकान उपलब्ध कराने वाले मान. प्रधानमंत्री जी का सहृदय धन्यवाद करती हूँ साथ ही नगर पंचायत कुसमी के अधिकारियों/कर्मचारियों को भी धन्यवाद देती है।
Sampadak,,jasim khan kusmi balrampur