छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में नक्सलियों ने सोमवार को सुरक्षाबलों को ले जा रहे वाहन को ब्लास्ट कर उड़ा दिया। हमले में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के आठ जवान बलिदान हो गए। एक ड्राइवर की भी मौत हो गई।
HighLights
- पौने दो साल बाद फिर बड़ा नक्सली हमला
- सुरक्षाबलों को ले जा रहे वाहन को उड़ाया
- बीजापुर से 55 किमी दूर अंबेली गांव में घटना
रायपुर: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बस्तर दौरे के 19 दिनों बाद नक्सलियों ने बड़ी वारदात को अंजाम दिया है। वे तीन दिवसीय दौरे पर 15 दिसंबर को रायपुर आए थे। पुलिस परेड ग्राउंड में राष्ट्रपति पुलिस अवॉर्ड कार्यक्रम में शामिल होने के बाद बस्तर गए थे।
दिल्ली लौटने से पहले शाह ने रायपुर में गृह विभाग के अधिकारियों के साथ नक्सली अभियान को गति देने की रणनीति बनाई थी। पुलिस परेड ग्राउंड में गृहमंत्री शाह ने कहा था कि देश से 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का पूर्णतः खात्मा हो जाएगा।
देश के सभी राज्यों से नक्सलवाद के खिलाफ ताबूत में अंतिम कील ठोकने की पूरी तैयारी है। उन्होंने नक्सलियों से अपील की थी कि हथियार छोड़कर मुख्य धारा में लौटें और विकास में योगदान दें। सरकार ने आत्मसमर्पण नीति बनाई है। इसमें समर्पण के बाद हर नक्सली के पुनर्वास की व्यवस्था की गई है।
इसके पहले शाह अगस्त और जनवरी 2024 में भी नक्सल विरोधी अभियान के लिए रोडमैप तैयार कर नक्सलियों के खिलाफ रणनीति बनाई थी।
जवानों के बलिदान पर शुरू हुई राजनीति
- बीजापुर जिले में जवानों के बलिदान पर राजनीति शुरू हो गई है। कांगेस ने घटना को लेकर सवाल उठाए हैं। वहीं, भाजपा का कहना है कि दुख की घड़ी में कांग्रेस राजनीति न करे।
- भाजपा प्रदेशाध्यक्ष किरण सिंह देव ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस दुख की घड़ी में भी राजनीति करने से बाज नहीं आ रही है। बलिदानियों को नमन करने की बजाए असफलता ढूंढने में लगी है।
- पांच वर्षों तक कांग्रेस की सरकार थी, लेकिन नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए। वर्तमान में नक्सलवाद के खिलाफ राज्य सरकार बड़ी लड़ाई लड़ रही है। यह समय राजनीति करने का नहीं है।
- इससे पहले कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि जवानों की वीरता पर गर्व है। सरकार के नक्सल मोर्चे पर असमंजस नीति के कारण इतनी बड़ी क्षति उठानी पड़ी है। जवान बलिदान हुए हैं।
26 अप्रैल 2023 को हुई थी बड़ी घटना
- पौने दो वर्ष पहले 26 अप्रैल 2023 को दंतेवाड़ा में नक्सलियों ने घात लगाकर डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी)फोर्स के जवानों पर हमला किया था।
उन्होंने जवानों से भरी गाड़ी को आईआईटी हमले से उड़ाया था। हमले में 11 जवान बलिदान हुए थे। इनमें से 10 डीआरजी के जवान व एक ड्राइवर हैं। नक्सलियों ने रोड के बीचों बीच लैंडमाइन बिछाई हुई थी। यह धमाका इतना जबरदस्त था कि रोड पर गहरा गड्ढा हो गया था और जवानों के वाहन के परखच्चे उड़ गए थे।
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बड़े धमाके से पहले भी हुआ था विस्फोट
कुटरू में सोमवार को दो विस्फोट हुए थे। पहले विस्फोट की तीव्रता कम थी। इसलिए नुकसान नहीं हुआ। इसके बाद जवानों को लेने जा रही अन्य गाड़ियों ने यू टर्न ले लिया।
काफिले में शामिल एक वाहन के ड्राइवर के अनुसार कुटरू के नजदीक सामने से आ रहे वाहन चालक ने विस्फोट में बाल-बाल बचने और फायरिंग होने की जानकारी दी थी। जैसे ही उसने आगे का घटनाक्रम सुना, तुरंत गाड़ी मोड़ दी। नैमेड थाने पहुंचे तो बड़ा ब्लास्ट होने और नौ लोगों के बलिदान की खबर आई।
सबसे आगे रहते हैं डीआरजी के जवान
प्रदेश के नारायणपुर जिले में वर्ष-2008 में डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का गठन किया गया था। इसके बाद वर्ष-2013 में सुकमा, दंतेवाड़ा और बीजापुर में भर्तियां की गईं थी। इसमें स्थानीय युवाओं को लिया जाता है। इसमें समर्पण करने चुके नक्सलियों की भी भर्ती होती है। जब भी मुठभेड़ होती है, तो डीआरजी के जवान सबसे आगे खड़े होते हैं।