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जशपुर से उठी लोकतंत्र की चीख अब पूरे प्रदेश को झकझोर रही है। पत्रकारों को चुप कराने और उनकी कलम तोड़ने की सुनियोजित साजिश ने सत्ता और तंत्र की नीयत पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जनसंपर्क विभाग की सहायक संचालक नूतन सिदार ने अपने पद का दुरुपयोग कर पत्रकारों को एक-एक करोड़ के मानहानि नोटिस थमा दिए उस नोटिस का सर्वदलीय पत्रकारों के द्वारा किया गया विरोध।
एक तरफ पत्रकारों को लोकतंत्र की चतुर्थ स्तंभ कहा जाता है और दूसरी तरफ से अपराधी कहा जाता है
👉 यही नहीं, फोन पर पत्रकारों को आत्महत्या में फँसाने की धमकी दी गई—यह न सिर्फ घोर आपराधिक कृत्य है बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता पर खुला हमला है।
👉 शासकीय ग्रुप का निजीकरण कर पत्रकारों को अपमानित किया गया। इस पूरे घटनाक्रम के दौरान कलेक्टर रोहित व्यास मौजूद रहे, लेकिन प्रशासन ने खामोशी ओढ़ ली।
👉 पत्रकारों को “अपराधी” कहकर संबोधित करना, लोकतंत्र की रीढ़ पर वार है।
📢 पत्रकार संघ ने उठाई मांग :
1️⃣ नूतन सिदार के खिलाफ तत्काल एफआईआर दर्ज कर बर्खास्तगी की जाए।
2️⃣ जनसंपर्क आयुक्त और संवाद प्रमुख सार्वजनिक माफीनामा जारी करें।
3️⃣ विशेष उच्च स्तरीय जांच समिति गठित कर दोषियों को सख्त सजा मिले।
4️⃣ सिविल सेवा आचरण नियमों का उल्लंघन मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
यह प्रकरण केवल जशपुर का नहीं, बल्कि लोकतंत्र और पत्रकारिता की स्वतंत्रता के लिए खतरे की घंटी है। यदि सरकार त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं करती, तो यह संदेश जाएगा कि सत्ता पत्रकारों की कलम तोड़ने की मुहिम चला रही है।
✍️ संयुक्त पत्रकार संघ जशपुर की आवाज अब पूरे प्रदेश में गूंज रही है – लोकतंत्र पर हमला बर्दाश्त नहीं होगा!