क्या बोले थे नारायण मूर्ति?
पिछले महीने एक कार्यक्रम में बोलते हुए मूर्ति ने पीएम मोदी का उदाहरण देते हुए कहा था कि वो 100 घंटे काम कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं। उन्होंने कहा था कि अगर हम अपने देश को आगे ले जाना चाहते हैं तो हमें भी मोदी की तरह काम करना होगा।
कार्ति चिदंबरम ने साधा निशाना
उन्होंने रविवार को एक्स पर लिखा,
हर रोज जीवन एक संघर्ष है, जिसमें अकुशल और घटिया बुनियादी ढांचे और सुविधाओं से जूझना पड़ता है। अच्छे सामाजिक व्यवस्था और सद्भाव के लिए कार्य-जीवन संतुलन सबसे महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को वास्तव में 4 दिवसीय कार्य सप्ताह अपनाना चाहिए।
गौरव गोगोई ने भी जताई थी आपत्ति
बता दें कि चिदंबरम की टिप्पणी से पहले उनके पार्टी सहयोगी गौरव गोगोई ने भी मूर्ति के लंबे समय तक काम करने के समर्थन वाले बयान से असहमति जताई थी।
4 दिसंबर को अपने आधिकारिक हैंडल X पर पोस्ट करते हुए गोगोई ने लिखा था कि मैं भी कार्य-जीवन संतुलन पर नारायण मूर्ति के दृष्टिकोण से असहमत हूं। आखिरकार, जीवन क्या है, अपने बच्चों की देखभाल करना, उनके लिए खाना बनाना, उन्हें पढ़ाना, अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करना, जरूरत के समय अपने दोस्तों के लिए मौजूद रहना और यह सुनिश्चित करना कि आपका घर व्यवस्थित रहे।