
Sampadek jasim khan samwad chhatigath news
प्राथमिक शाला के शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता की दयनीय स्थिति

प्राथमिक शाला के कुछ शिक्षकों को नहीं है शैक्षणिक योग्यताएं
शिक्षकों को ज़िले के कलेक्टर व मुख्यमंत्री का पता नहीं है नाम

तो ऐसे में कैसे पढ़ेंगे यहां के नौनिहाल और कैसे गढ़ेंगे देश का भविष्य ?
इन मासूम बच्चों का भविष्य खतरें में आखिर कौन है इसका जिम्मेदार ?
इन मासूम बच्चों के भविष्य के साथ किया जा रहा है खिलवाड़
जहां शिक्षा केवल ज्ञान देना नहीं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनाना भी होता है।
प्राथमिक शाला घोड़ासोत से शिक्षा व्यवस्था को लेकर शर्मनाक खुलासा
शिक्षकों को नहीं पता जिला के कलेक्टर व छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री का नाम

हैरानी तो तब हो गई जब हमनें शिक्षकों से बच्चों को अंग्रेजी में ‘Eleven’, ‘Eighteen’, ‘Nineteen’ का स्पैलिंग लिख कर पढ़ानें को कहां, जहां शिक्षकों को सामान्य अंग्रेजी स्पैलिंग के गिनतीं तक पता नहीं
हम कोई सुदूर पहाड़ी गांव की बात नहीं कर रहे है साहेब, हम छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िला की बात कर रहे है….
जहां आपको बता दें कि पूरा मामला छत्तीसगढ़ के बलरामपुर ज़िले के कुसमी विकासखंड अंतर्गत आनें वाला ग्राम पंचायत मड़वा अंतर्गत स्थित प्राथमिक शाला घोड़ासोत में आज शिक्षा व्यवस्था को शर्मसार करनें वाला मामला सामनें आया है। जहां शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता बिल्कुल शून्य के बराबर ठप्प है।
जहां हम जब विद्यालय पहुंचे तो बच्चों से सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्न पूछे – जैसे देश के प्रधानमंत्री का नाम, छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री का नाम – जिसका कोई सही उत्तर नहीं मिला।
लेकिन सबसे हैरान करनें वाला दृश्य तब सामनें आया जब वहीं मौजूद दो शिक्षक और एक प्रधान पाठक से देश के प्रधानमंत्री, छत्तीसगढ़ के शिक्षा मंत्री एवं बलरामपुर जिले के कलेक्टर और बलरामपुर पुलिस अधीक्षक एसपी का नाम पूछा गया — जहां वो भी शिक्षक होकर बता नहीं पाये।
और यही नहीं – जब हमनें उनसे Eleven, Eighteen, Nineteen जैसे गिनती के साधारण अंग्रेजी शब्दों की Spelling बच्चों को लिख कर पढ़ानें को कहां तो तीनों शिक्षक गलत स्पेलिंग लिख बैठे।
तो आखिर सवाल यह उठता है साहेब कि ऐसे में कैसे पढ़ेंगे यहां के नौनिहाल और कैसे गढ़ेंगे देश का भविष्य ?
यह स्थिति न केवल शिक्षा की गुणवत्ता और व्यवस्था एंव प्राथमिक शाला के शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है, बल्कि बच्चों के भविष्य पर भी खतरे की घंटी बजते नजर आ रही है।
जहां इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद सवाल यह है कि प्रशासनिक निगरानी कहां है ?
क्या ऐसे शिक्षक बच्चों को बेहतर भविष्य की ओर ले जा पाएंगे ?
जब इस विषय पर हमनें बलरामपुर जिला शिक्षा अधिकारी D.E.O से बात की तो उन्होंने जांच कर कार्यवाही करनें बात कही है।

जहां आपको बता दें कि सरकार की योजनाओं व शासकीय सरकारी विद्यालयों की निगरानी रखनें की जिम्मेदारी क्या जिला के उच्च अधिकारीयों व स्थानीय विधायक, सांसद के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की नहीं होती या फिर शासकीय सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों की शैक्षणिक योग्यताओं को लेकर सभी जानकर भी अनजान बनें हुए है !!
“ये सवाल सिर्फ एक गांव या एक पंचायत या शासकीय सरकारी विद्यालयों का नहीं है साहेब… ये सवाल है उस व्यवस्था का उस सिस्टम का जो ज़मीनी हकीकत में अभी कुछ ओर बयां करती नजर आ रही है।
तो आखिर मैं आप इससे अंदाजा लगा सकते है की जब शिक्षकों को अपनें शैक्षणिक योग्यताओं का ज्ञान नहीं है तो इन आनें वाले मासूम बच्चों का भविष्य का क्या होगा, और कैसे ऐसे शिक्षक इन मासूम बच्चों का भविष्य गढ़ेंगे। और कैसे पढ़ेंगे यहां के नौनिहाल और कैसे गढ़ पाएंगे देश का भविष्य