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Reading: अंबिकापुर,,,सफलता की कहानी
परम्परागत कृषि छोड़ दिनेश ने शुरू की गुलाब की खेती, बम्पर उत्पादन से लाखों में हो रही है कमाई।
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Samwad Chhattisgarh > Blog > छत्तीसगढ़ > अंबिकापुर,,,सफलता की कहानी
परम्परागत कृषि छोड़ दिनेश ने शुरू की गुलाब की खेती, बम्पर उत्पादन से लाखों में हो रही है कमाई।
छत्तीसगढ़

अंबिकापुर,,,सफलता की कहानी
परम्परागत कृषि छोड़ दिनेश ने शुरू की गुलाब की खेती, बम्पर उत्पादन से लाखों में हो रही है कमाई।

Samwad Chhattisgarh
Last updated: July 22, 2025 6:45 pm
Samwad Chhattisgarh
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संपादक जसीम खान संवाद छत्तीसगढ़ न्यूज़ कुसमी बलरामपुर,,9111740798

अंबिकापुर,,दो एकड़ में कर रहे हैं खेती, प्रतिदिन 5 हजार से अधिक गुलाब का होता है उत्पादन, दूसरे राज्यों से भी आती है मांग

अम्बिकापुर 22 जुलाई 2025/ पारम्परिक कृषि के बदले आज किसान अधिक मुनाफा देने वाली फसलों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। जिसमें मुख्य रूप से बागवानी खेती किसानों के लिए अधिक फायदेमंद  साबित हो रही है। जिले के कई किसान फूलों की खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।


इन्हीं में से एक सरगुजा जिले के किसान दिनेश कुमार सिंह ने भी पारम्परिक कृषि के बदले गुलाब की खेती करने की ठानी।  उन्हें जब उद्यानिकी विभाग के द्वारा गुलाब की खेती के बारे में जानकारी मिली, तब उन्होंने विभाग के मार्गदर्शन में अपने जमीन पर पाली हॉउस तैयार कर डच गुलाब की खेती प्रारंभ की। उन्होंने अपने 2 एकड़ रकबे में पॉली हाउस का निर्माण किया। उन्हें नाबार्ड द्वारा 63 लाख रुपए की वित्तीय सहायता मिली तथा उद्यानिकी विभाग द्वारा तकनीकी जानकारी दी गई। गुलाब की खेती में उन्हें लगभग 1 करोड़ 30 लाख रुपए की लागत आयी, जिसमें से उन्होंने 93 लाख रूपए बैंक से भी ऋण लिया है। उन्होंने बताया कि उन्हें गुलाब की खेती शुरू किए हुए एक वर्ष हो गए हैं, यहां से प्रतिदिन लगभग 5 हजार फूल का उत्पादन हो रहा है। डच रोज़ के साथ ही उन्होंने जुमेलिया, टॉप सीक्रेट प्रजाति के गुलाब भी लगाए हैं। यहां विभिन्न रंगों के गुलाब लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि किसानों को खेती-किसानी में बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान की संभावना बनी रहती थी। वे पहले धान की खेती करते थे, जिसमें आमदनी बहुत कम थी और आज गुलाब की खेती उन्हें लाखों का फायदा दे रही है।



शासन से मिली मदद-
उन्होंने बताया कि यह कार्य शासन की मदद से ही संभव हो पाया है, इसके लिए मैं केंद्र एवं राज्य शासन को धन्यवाद देता हूं। उन्होंने आगे बताया कि उन्हें गुलाब की खेती का आइडिया उद्यान विभाग के अधिकारियों से मिला। उन्होंने विभाग से सम्पर्क कर गुलाब की खेती के संबंध में जानकारी ली और मिलने वाली सहायता के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत फूलों की उन्नत खेती के लिए पॉलीहाउस निर्माण सहित अन्य आदानों के अलावा उद्यान विभाग द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

दूसरे राज्यों में भी भेज रहें हैं गुलाब, शादियों और त्योहारी सीजन में रहती है विशेष मांग
उन्होंने बताया कि गुलाब की मांग बाजार में पूरे वर्ष रहती है, प्रति गुलाब 4 से 5 रुपए तक बिकते हैं। लेकिन शादियों और त्योहारी सीजन में मांग अधिक बढ़ जाती है और प्रति गुलाब की कीमत 15 से 20 रूपए तक पहुंच जाती है। उन्होंने बताया कि उन्हें अन्य राज्यों उड़ीसा, उत्तर प्रदेश से भी मांग आती है मांग के अनुसार फूल भेजे जाते हैं।



मुनाफे के साथ सुकून देने वाली है गुलाब की खेती-
किसान दिनेश का कहना है कि गुलाब की खेती से उन्हें एक वर्ष में ही लगभग 10 लाख रुपए का मुनाफा हुआ है। परम्परागत खेती में अधिक मेहनत लगती थी और मौसम पर आश्रित रहना पड़ता था। अनुकूल मौसम पर ठीक-ठाक कमाई हो जाती थी, लेकिन कभी-कभी भारी नुकसान भी उठाना पड़ता था। परंतु गुलाब की खेती में बारहों महीने उत्पादन होता है और कम लागत में अधिक मुनाफा हो रहा है। पौधों पर फूल सतत लगते रहते हैं, कम पानी और कम समय देकर यह खेती आसानी से की जा सकती है। उन्होंने कहा कि फूलों की खेती में मुनाफा तो है ही, साथ ही इसमें सुकून भी है।

ऐसे होती है खेती-
उन्होंने बताया कि वे 2 एकड़ में गुलाब की खेती करते हैं, पॉली हाऊस के अंदर 12 माह गुलाब की खेती होती है। यहां मेड़ बनाकर फूल लगाए गए हैं, जिसके सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम का इस्तेमाल करते हैं। मौसम का टेंप्रेचर मेंटेन करने के लिए फोगर सिस्टम लगाया गया है। सीजन में गुलाब की खपत देखते हुए प्रोडक्शन अच्छा हो इसके लिए माली द्वारा वाइंडिंग की जाती है। वाइडिंग के 45 दिन बाद प्रोडक्शन चालू हो जाता है। प्रोडक्शन अच्छी हो इसके लिए कमजोर फूल की कली को  7 सेंटीमीटर की कटिंग की जाती है, जिससे दो कलिका निकलती है और प्रोडक्शन बढ़ता है।

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