Pardhaan sammpadek jasim khan samwad chhatisgarh news kusmi Balrampur

जसपुर,, भारतीय पसमांदा समाज संगठन छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में जशपुर जिले के कुनकुरी में वक्फ सुधार जन जागरण अभियान कार्यक्रम में प्रदेश मंत्री मुसर्रत हुसैन के नेतृत्व में एम डी शमीम प्रदेशाध्यक्ष भारतीय पसमांदा समाज(संगठन)छत्तीसगढ़ के मुख्य अतिथि में संपन्न हुई।
,,,,,,,,,,,एम डी शमीम ने अपने उद्बोधन में कहा ।
कि मैं आज यहां एक सच्चे जमीनी पसमांदा मुसलमान की आवाज लेकर खड़ा हूं यह भाषण कोई मंच का दिखावा नहीं बल्कि हमारे गांव मोहल्ले और गलियों की वह हकीकत है जो हम रोज देखते और सहते हैं मैं उस समाज से आता हूं जो हमेशा हाशिए पर रहा है हम मेहनतकश मजदूर और अपनी मेहनत की रोटी कमाते हैं हमारे लिए वक्फ कोई पवित्र दस्तावेज नहीं बल्कि एक बंद तिजोरी जैसा है बाहर मजहब लिखा है मगर अंदर हमें कुछ नहीं मिलता हमारे देश सहित कई राज्यों में जमीन वक्फ है जो मुसाफिरों और यतीम बच्चों की सेवा के लिए वक्फ की गई थी अल्लाह के नाम पर मगर आज वहां झाड़ झंखाड़ उग रहे हैं और आधा हिस्सा कुछ दबंग के कब्जे में है जब पसमांदा युवाओं ने उस जमीन पर गरीबों की हित का प्रस्ताव रखते हैं तो छत्तीसगढ़ के कई जगहों पर भी वक्फ की जमीन या तो बंजर पड़ी है या दबंग के कब्जे में है हकीकत कुछ और कागज कुछ और सोचिए जिस जमीन को गरीबों की मदद के लिए वक्फ किया गया था अल्लाह के नाम पर वह अब किसी अमीर की दीवार बन चुकी है या जमीन पर ताले लगे हैं यह सिर्फ जमीन का सवाल नहीं बल्कि हमारी कौम की तरक्की की सवाल है हमारे बुजुर्गों ने वक्फ की जमीन इसलिए दी थी ताकि मुसाफिरों को ठहरने की जगह मिले गरीब बच्चियों को तालीम मिले मजदूरों को सस्ता इलाज मिले यतीम बच्चों को सहारा मिले मगर आज यह जमीन या तो फाइलों में कैद है या किसी दबंग के खेत में मिल गई है कौन हिसाब लेगा कौन सवाल उठाएगा जब मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया तो कुछ नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया कहा गया कि हमारी जमीनें छीन जाएगी हम पूछते हैं कौन सी जमीन है वह जिसपर स्कूल नहीं बने अस्पताल नहीं खुले जहां आम मुसलमान को घुसने तक नहीं दिया जाता है सरकार का नया कानून कहता है हर वक्फ संपत्ति डिजिटल रजिस्टर होगी उनकी जानकारी जनता के सामने आएगी कोई भी नया वक्फ दावा बिना पुख्ता सबूत के मान्य नहीं होगा पसमांदा समाज को वक्फ समितियों में प्रतिनिधित्व मिलेगा इसमें डरने की क्या बात है बल्कि यह तो पारदर्शिता और जवाब दे ही की दिशा में कदम है सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में चल रहे केस में वक्फ कानून में सुधार की जरूरत को सही ठहराया है अदालत ने कहा है कि वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग रोकने और उनके प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए कानून को मजबूत करना जरूरी है जब देश की सबसे बड़ी अदालत इस दिशा को सही मान रही है तो हमें डरने की क्या जरूरत यह हमारी कौम के लिए एक सुनहरा मौका है हमें अब अफवाहों से निकलना होगा हमें समझना होगा कि यह देश और इसकी सरकार हमारी है हमने ही वोट देकर इसे चुना है मतभेद हो सकते हैं नीतियों पर सवाल हो सकते हैं मगर पुरानी डर की राजनीति और अफवाहों में फंसकर हम अपनी तरक्की और कितना रोकेंगे वक्फ की जमीनों पर इंजीनियरिंग कॉलेज और नर्सिंग संस्थान बने आईटीआई और स्किल डेवलपमेंट सेंटर खुले हर जिले में वक्फ हॉस्पिटल हो जहां गरीबों को मुक्त इलाज हो,अब्दुल कलाम, हकीम अजमल खान, जैसे राष्ट्र निर्माता तैयार करने वाले संस्थान बने क्यों ना हमारी जमीनें ऐसे इस्तेमाल हो कि जहां हमारे बच्चे साइकिल का पंचर ठीक करने की जगह इलेक्ट्रिक साइकिल डिजाइन करें ऐसे कॉलेज में पढ़े जहां पीएचडी स्कॉलर निकलें हमारे समाज में आज भी लाखों लोग बिना तालीम बिना रोजगार बिना सम्मान के जी रहे हैं वक्फ बोर्ड में सिर्फ कुछ खानदानों के नाम लिखे जाते हैं हमारे मोहल्लों,मौलवियों और नौजवानों की कोई सुनता नहीं भाइयों और बहनों अब वक्त है पुराने डर अफवाहों और भावनात्मक शोषण से बाहर निकलें वक्फ संपत्तियां मजहब के नाम पर कब्जा करने का जरिया नहीं बल्कि सेवा का साधन बननी चाहिए हम मोदी सरकार के वक्फ संशोधन कानून और सुप्रीम कोर्ट के रुख का स्वागत करते हैं क्योंकि यह पारदर्शिता और जवाब दे ही लाएगा अगर हम चुप रहे तो हमारी अगली नस्ल भी झूठे वादों और बंद तिजोरियों में उलझी रहेगी जरूरत है बदलाव की जरूरत है नई सोच की जरूरत है ईमानदारी की वक्फ को बचाओ नहीं वक्फ को सच्चे हाथों में सौंपो।
इस कार्यक्रम में मुख्यरूप से मुसर्रत हुसैन प्रदेश मंत्री,इम्तियाज अंसारी पूर्व सदस्य हज कमेटी छत्तीसगढ़ शासन,कसिम अंसारी जिलाध्यक्ष बलरामपुर,बारीक उर्फ तारा,अमीर आलम,शकील,गट्टू,बबलू,आरिफ सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।